परिचय
मंकीपॉक्स एक दुर्लभ, लेकिन गंभीर वायरस जनित बीमारी है जो जानवरों और इंसानों के बीच फैलती है। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से संबंधित है, जिसमें चेचक (स्मॉलपॉक्स) वायरस भी शामिल है। मंकीपॉक्स का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इसे पहली बार 1958 में डेनमार्क में बंदरों में पाया गया था। हालांकि, मंकीपॉक्स वायरस मुख्य रूप से चूहों, गिलहरियों और अन्य छोटे जानवरों में पाया जाता है, लेकिन यह इंसानों में भी फैल सकता है।
Monkey Pox का इतिहास
मंकीपॉक्स का इतिहास 20वीं सदी के मध्य से शुरू होता है। 1958 में, डेनमार्क में एक प्रयोगशाला में बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोपों की पहचान की गई थी, जिसके बाद इस बीमारी का नाम मंकीपॉक्स रखा गया। पहली बार यह बीमारी इंसानों में 1970 में कांगो (अब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो) में पाई गई थी। इसके बाद, मंकीपॉक्स के प्रकोप अफ्रीकी देशों में समय-समय पर देखे गए, विशेष रूप से पश्चिम और मध्य अफ्रीका में।
अफ्रीका के बाहर मंकीपॉक्स के मामले कम ही देखने को मिले हैं। 2003 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में मंकीपॉक्स के कुछ मामले सामने आए थे, जो अफ्रीका से आयात किए गए छोटे स्तनधारियों के संपर्क में आने के कारण हुए थे। इसके अलावा, 2018 में ब्रिटेन, इजराइल और सिंगापुर में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे।
मंकीपॉक्स का वायरस और संचरण
Monkey Pox वायरस दो प्रमुख प्रकारों में पाया जाता है: केंद्रीय अफ्रीकी (कांगो बेसिन) क्लेड और पश्चिम अफ्रीकी क्लेड। केंद्रीय अफ्रीकी क्लेड अधिक गंभीर होता है और इससे मृत्यु दर भी अधिक होती है।
Monkey Pox वायरस मुख्य रूप से जानवरों से इंसानों में फैलता है। संक्रमित जानवर के काटने, उसके शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आने, या उसके मांस का सेवन करने से इंसान में M.pox फैल सकता है। इसके अलावा, इंसान से इंसान में भी यह वायरस फैल सकता है, लेकिन यह कम होता है। संक्रमित व्यक्ति के श्वसन बूंदों, त्वचा के घावों या शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से M.pox फैल सकता है।
Monkey Pox के लक्षण
M.pox के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 5 से 21 दिनों बाद दिखाई देते हैं। प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, ठंड लगना, और थकान शामिल हैं। बुखार के कुछ दिनों बाद, शरीर पर दाने या चकत्ते उभरते हैं। ये दाने आमतौर पर चेहरे से शुरू होते हैं और फिर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाते हैं, जिनमें हथेलियां और तलवे भी शामिल हैं। दाने धीरे-धीरे फफोले में बदल जाते हैं और अंततः पपड़ी बनकर गिर जाते हैं।
Monkey Pox का निदान और उपचार
Mpox का निदान आमतौर पर शारीरिक लक्षणों और प्रयोगशाला परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है। पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (PCR) परीक्षण, वायरस के डीएनए का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाता है, जो कि सबसे सटीक तरीका है। इसके अलावा, रक्त परीक्षण और अन्य तकनीकों का भी उपयोग किया जा सकता है।
मंकीपॉक्स का उपचार मुख्य रूप से लक्षणों को कम करने पर केंद्रित होता है। इसके लिए रोगियों को आराम, तरल पदार्थ, और दर्द निवारक दवाएं दी जाती हैं। वर्तमान में, मंकीपॉक्स के लिए कोई विशेष एंटीवायरल दवा नहीं है, लेकिन चेचक के लिए विकसित कुछ टीकों और दवाओं का उपयोग मंकीपॉक्स के उपचार में किया जा सकता है।
मंकीपॉक्स के खिलाफ टीकाकरण
चेचक के खिलाफ टीका, जिसे स्मॉलपॉक्स वैक्सीन कहा जाता है, Monkey Pox के खिलाफ भी कुछ हद तक प्रभावी होता है। Monkey Pox के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए कुछ देशों में चेचक के टीके का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, नए वैक्सीन भी विकसित किए जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य Monkey Pox और अन्य ऑर्थोपॉक्सवायरस से बचाव करना है।
वर्तमान में मंकीपॉक्स की स्थिति
हाल के वर्षों में,Monkey Pox के मामलों में वृद्धि देखी गई है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां यह पहले कम पाया गया था। 2022 में, अफ्रीका के बाहर के कई देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए, जिनमें यूरोप, उत्तरी अमेरिका, और एशिया शामिल हैं। इस प्रकोप ने वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय को सतर्क किया है और कई देशों ने इस पर निगरानी और रोकथाम के उपाय बढ़ा दिए हैं।
मंकीपॉक्स के प्रसार को रोकने के उपाय
Monkey Pox के प्रसार को रोकने के लिए, कुछ महत्वपूर्ण उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- जानवरों के संपर्क में सावधानी:- संक्रमित जानवरों से दूरी बनाए रखें और उनके संपर्क में आने से बचें।
- व्यक्तिगत स्वच्छता:- साबुन और पानी से हाथ धोना, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना, और मास्क पहनना संक्रमण को रोकने में मदद कर सकता है।
- संक्रमित व्यक्तियों का आइसोलेशन:- Monkey Pox से संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेट करना और उनके संपर्क में आने वाले व्यक्तियों का परीक्षण करना आवश्यक है।
- टीकाकरण:– उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में टीकाकरण कार्यक्रम लागू करना और लोगों को चेचक के टीके लगवाने के लिए प्रेरित करना।
निष्कर्ष
Monkey Pox एक गंभीर वायरस जनित बीमारी है, जो इंसानों और जानवरों के बीच फैलती है। इसके लक्षण और प्रभाव गंभीर हो सकते हैं, खासकर कमजोर स्वास्थ्य वाले लोगों में। हालांकि, उचित निगरानी, रोकथाम और टीकाकरण के माध्यम से इसके प्रसार को नियंत्रित किया जा सकता है। वर्तमान में Monkey Pox के प्रकोप के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसके प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस बीमारी के प्रति सचेत रहना और आवश्यक सावधानियों का पालन करना ही इसे नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी तरीका है। Monkey Pox के बारे में अधिक जागरूकता फैलाने से ही हम इस महामारी से सुरक्षित रह सकते हैं और भविष्य में इसके प्रकोप को रोक सकते हैं।