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मंकीपॉक्स: भारत को कितना ख़तरा और यह कितना ख़तरनाक है? 2024

मंकीपॉक्स: भारत को कितना ख़तरा और यह कितना ख़तरनाक है? 2024

मंकीपॉक्स: भारत को कितना ख़तरा और यह कितना ख़तरनाक है? 2024

भारत में Monkey Pox का पहला मामला 2022 में सामने आया था। इसके बाद कुछ और मामले भी दर्ज किए गए, लेकिन यह संख्या अभी तक नियंत्रण में है। भारत सरकार ने इस बीमारी से निपटने के लिए त्वरित कदम उठाए हैं, जिसमें हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग, संक्रमित व्यक्तियों का आइसोलेशन, और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए विशेष दिशानिर्देश जारी करना शामिल है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में मंकीपॉक्स का व्यापक प्रसार होने की संभावना कम है, क्योंकि यहां इसका संक्रमण दर कम है और स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत हैं।

Introduction

Monkey Pox एक वायरल बीमारी है जो हाल के वर्षों में दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गई है। यह बीमारी पहले मुख्य रूप से अफ्रीकी देशों में पाई जाती थी, लेकिन अब इसके मामले अन्य देशों में भी सामने आ रहे हैं। भारत में भी इसके मामले दर्ज किए गए हैं, जिससे यह जानना आवश्यक हो गया है कि यह बीमारी कितनी खतरनाक है और देश को इससे कितना खतरा है। इस लेख में हम Monkey Pox से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियों को विस्तार से समझेंगे।

मंकीपॉक्स क्या है?

मंकीपॉक्स एक दुर्लभ वायरल बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होती है। यह वायरस पॉक्सविरिडे परिवार के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से संबंधित है। मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक से मिलते-जुलते हैं, लेकिन यह कम गंभीर होती है। इसके प्रमुख लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, ठंड लगना, और थकान शामिल हैं। इसके अलावा, संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर फफोले या दाने भी हो सकते हैं जो अंततः पपड़ी बनकर गिर जाते हैं।

मंकीपॉक्स का इतिहास

Monkey Pox की पहचान पहली बार 1958 में डेनमार्क में बंदरों के एक प्रयोगशाला कॉलोनी में की गई थी, इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया। हालांकि,Monkey Pox का पहला मानव मामला 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में पाया गया था। उसके बाद से, यह बीमारी मुख्य रूप से मध्य और पश्चिमी अफ्रीकी देशों में पाई गई, विशेषकर उन्हीं क्षेत्रों में जहां जंगलों और वन्यजीवों के साथ इंसानों का निकट संपर्क होता है।

मंकीपॉक्स का प्रसार कैसे होता है?

Monkey Pox वायरस का प्रसार आमतौर पर संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से होता है, जैसे कि गिलहरी, चूहे, और बंदरसंक्रमित जानवरों का मांस खाने, उनके खून, शरीर के तरल पदार्थों, या उनके घावों के संपर्क में आने से इंसान इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा, इंसान से इंसान में भी इसका प्रसार हो सकता है, खासकर तब जब कोई व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में आता है, जैसे कि उसके घावों को छूने से या उसके खांसने या छींकने से निकले बूंदों के संपर्क में आने से।

मंकीपॉक्स के SYMPTOMS

Monkey Pox के लक्षण सामान्यतः संक्रमण के 7 से 14 दिनों के भीतर दिखाई देने लगते हैं, लेकिन यह अवधि 5 से 21 दिनों तक भी हो सकती है। Monkey Pox के लक्षणों को दो चरणों में बांटा जा सकता है:-

  1. प्रारंभिक चरण:
  1. त्वचा के लक्षण:

मंकीपॉक्स का निदान और उपचार

Mpox का निदान आमतौर पर नैदानिक परीक्षण और मरीज के लक्षणों के आधार पर किया जाता है। इसके लिए रक्त परीक्षण, पीसीआर (PCR) टेस्ट, और वायरल कल्चर का उपयोग किया जा सकता है। जहां तक उपचार की बात है, तो मंकीपॉक्स के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को कम करने के लिए सहायक उपचार (supportive care) दिया जा सकता है। गंभीर मामलों में, एंटीवायरल दवाओं का प्रयोग भी किया जा सकता है।

मंकीपॉक्स के लिए बचाव के उपाय

Monkey Pox से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:

  1. संक्रमित जानवरों से दूरी बनाए रखें:
  1. स्वच्छता का पालन करें:
  1. टीकाकरण:

मंकीपॉक्स के बारे में भ्रांतियाँ और सच्चाई

Monkey Pox के बारे में कई भ्रांतियाँ भी फैली हुई हैं, जिनमें से कुछ का समाधान करना आवश्यक है:-

  1. क्या मंकीपॉक्स कोविड-19 जैसा है?
  1. क्या मंकीपॉक्स जानलेवा है?
  1. क्या मंकीपॉक्स से बचने का कोई टीका है?

निष्कर्ष

Monkey Pox एक गंभीर बीमारी हो सकती है, लेकिन इसके प्रसार को रोकने के लिए जागरूकता और सावधानी आवश्यक है। भारत में इस बीमारी का प्रसार नियंत्रण में है, लेकिन इसके बावजूद सतर्कता बरतना आवश्यक है। स्वस्थ आदतें, संक्रमित व्यक्तियों से दूरी, और समय पर चिकित्सकीय परामर्श लेने से इस बीमारी के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यदि आप किसी भी संदिग्ध लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करें और आवश्यक परीक्षण करवाएं।

भारत को मंकीपॉक्स से उतना बड़ा खतरा नहीं है जितना अन्य महामारी से हो सकता है, लेकिन इसके प्रति सतर्क रहना और आवश्यक सावधानियाँ बरतना ही सही उपाय है। जागरूक रहिए, स्वस्थ रहिए।

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